कलयुग में लोग | कलियुग (Kali Yuga) सौ प्रतिशत सच बात | Kali Yuga 100% truth

कलयुग में लोग | कलियुग (Kali Yuga) सौ प्रतिशत सच बात | Kali Yuga 100% truth


कलयुग में लोग भूख प्यास और कई तरह की चिंताओं से दुखी रहेंगे। कई तरह की बीमारियां उन्हें हर समय घेरे रहेगी। लोग दूर के नदी और तालाबों को तो तीर्थ मानेंगे, लेकिन अपने पास रह रहे माता पिता की निंदा करेंगे। इसके इलावा सिर पर बड़े बड़े बाल रखना ही सुंदरता मानी जायेगी और केवल पेट भरना ही लोगो का लक्ष्य होगा

कलियुग के बारे में आपके द्वारा उठाए गए मुद्दे एक प्रकार के सामाजिक और मानसिक परिवर्तनों को दर्शाते हैं जो व्यक्ति के जीवन में दुःख और परेशानियों का कारण बन सकते हैं। हालांकि, इन मान्यताओं और आदतों को सभी लोगों के लिए सामान्य नहीं माना जा सकता है और इसे अभीतः या निश्चित रूप से कलियुग के सभी लोगों के लिए सत्य ठहराना संभव नहीं होगा।

खाने की भूख, प्यास और बीमारियों की चिंता अवश्य हमारे जीवन के अंग हैं और यह सामान्य माना जाता है कि यह कलियुग में भी विद्यमान हैं। तथापि, समाज में प्रगति के साथ, विज्ञान और चिकित्सा के विकास के साथ, हमारी स्वास्थ्य सेवाओं में और खाद्य सुरक्षा में सुधार हुआ है। इसलिए, आधुनिक दुनिया में भूख, प्यास और बीमारियों की स्थिति कई हद तक सुधारी गई है।

नदियों और तालाबों को तीर्थ स्थल के रूप में मान्यता देना अध्यात्मिक और सामाजिक संस्कृति में प्रचलित है। हालांकि, यह भी यथार्थ नहीं है कि लोग अपने माता-पिता की निंदा करेंगे। परिवार और वंश का महत्व भी समाज के एक महत्वपूर्ण मूल्य है, जिसे धार्मिक और सामाजिक परंपराओं में स्थानांतरित किया जाता है।

बालों को लंबा रखने की सुंदरता को लेकर भी, व्यक्ति की सुंदरता के मान्यताओं में सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों का असर देखा जा सकता है। अलग-अलग समाजों और संस्कृतियों में बालों की लंबाई और सजावट को सुंदरता के एक पहलू के रूप में मान्यता दिया जा सकता है, हालांकि, यह व्यक्ति के व्यक्तिगत पसंद के आधार पर अलग-अलग हो सकता है।

केवल पेट भरना लोगों का एकमात्र लक्ष्य होना उचित नहीं है। मानवीय समाज में सभी प्रकार के विकास को संतुष्ट करने वाली आवश्यकताएं होती हैं, जिसमें खाने की जरूरत सिर्फ एक हिस्सा होता है। समाज में संतुलन, संबंध, सेवा, समरसता और आत्म-प्रगति की आवश्यकता होती है।

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